कोरोना महामारी के चलते पिछले 21 महीने से स्कूल बंद हैं। परीक्षा की तैयारी के लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की गईं क्योंकि किसी को अंदाजा नहीं था कि परीक्षा रद्द करने का समय आ जाएगा। वास्तविक स्कूल गए बिना सीखने की इस पद्धति का शुरू में शहरी क्षेत्रों में स्वागत किया गया था लेकिन इससे छात्रों को बहुत नुकसान हुआ है।

छात्रों को कोरोना से हुए नुकसान की भरपाई के प्रयास किए जाने की जरूरत है। निम्नलिखित करने से निश्चित रूप से मदद मिलेगी।
1) विद्यालय बंद किये बिना कोरोना के नियमों का पालन करते हुए 50% क्षमता से नियमित कक्षाएं प्रारम्भ की जाये।
2) सरकार हर गांव में इंटरनेट और बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करे।
3) एक धर्म एक अवकाश योजना बिना कई स्कूल अवकाश रखे शुरू की जानी चाहिए।
4) प्रत्येक स्कूल में बड़े स्क्रीन टीवी या डिजिटल स्क्रीन उपलब्ध कराई जानी चाहिए और देश के प्रसिद्ध शिक्षकों के शिक्षण का सीधा प्रसारण किया जाना चाहिए।
5) दूरदर्शन पर शिक्षण कार्यक्रम रखकर छात्रों को लाभ दिया जाए। साथ ही निजी चैनलों को स्कूल कार्यक्रमों के प्रसारण के लिए विशेष समय निकालने के लिए बाध्य किया जाए।
6) अन्य विकसित देशों को समीक्षा करनी चाहिए कि लॉकडाउन अवधि के दौरान स्कूलों की योजना कैसे बनाई गई।
7) माता-पिता को यह भावना छोड़ देनी चाहिए कि शिक्षण की जिम्मेदारी केवल स्कूलों की है, और कम से कम प्राथमिक शिक्षा परिवार के वरिष्ठ सदस्यों द्वारा घर पर ही दी जानी चाहिए।
8) इसकी जांच होनी चाहिए कि क्या गरीब क्षेत्रों में शिक्षण के लिए गैर सरकारी संगठनों की मदद लेना संभव है।
9) अनावश्यक विषयों के करीब, भविष्य के जीवन के लिए महत्वपूर्ण और आवश्यक विषयों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
10) आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को स्मार्ट फोन, लैपटॉप जैसे उपकरण मुफ्त या बहुत कम दरों पर उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
11) छात्रों का कड़ाई से मूल्यांकन किया जाना चाहिए और शिक्षकों को उसी के अनुसार भुगतान किया जाना चाहिए। तो आइए हम सब मिलकर आज एक वादा करें कि कल को बेहतर बनाने के लिए हम खुद से शुरुआत करेंगे। क्योंकि अब बदलाव जरूरी है। अगर आपको मेरा काम पसंद आता है, तो इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने में मेरी मदद करें। और कल को बेहतर बनाने के इस मिशन का हिस्सा बनें।
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